पुरानी हवेली का रहस्य
एक छोटे से गांव में, एक पुरानी हवेली वर्षों से वीरान पड़ी थी। गांव के लोग कहते थे कि वहां रात को अजीब-अजीब आवाज़ें आती हैं — कभी किसी के हँसने की, तो कभी किसी के रोने की।
कई वर्षों से कोई उस हवेली के पास भी नहीं जाता था। कहा जाता था कि उस हवेली में एक बूढ़ा आदमी रहा करता था, जो अचानक गायब हो गया। कुछ लोगों का मानना था कि उसकी आत्मा अब भी उस हवेली में भटकती है।
राहुल और उसका साहस
राहुल, एक कॉलेज का छात्र, गर्मियों की छुट्टियों में अपने नाना-नानी के गांव आया था। जब उसने हवेली की कहानी सुनी, तो उसके अंदर का जासूसी रोमांच जाग गया।
"मैं वहां जाकर देखना चाहता हूँ कि असल में क्या है," उसने अपने दोस्तों से कहा।
रात के समय, टॉर्च लेकर वह हवेली की ओर निकल पड़ा।
हवेली के अंदर
दरवाज़ा अजीब सी आवाज़ करते हुए खुला। अंदर चारों ओर धूल और जाले थे। फर्श पर पुराने कागज़, टूटी तस्वीरें और एक पुराना झूमर लटक रहा था। तभी उसे ऊपर की मंज़िल से किसी के चलने की आवाज़ आई।
राहुल डर गया, लेकिन वह रुका नहीं।
सीढ़ियों से ऊपर जाते हुए उसने देखा — एक कमरा थोड़ा खुला हुआ था। अंदर उसने एक पुराना डायरि पाया।
डायरि में लिखा था:
"अगर कोई ये पढ़ रहा है, तो जान लो — मैं इस हवेली का आखिरी निवासी हूँ। मैंने एक रहस्य छिपाया है जो इस घर को बदल सकता है।"
छुपा हुआ रहस्य
डायरि के आखिरी पन्ने पर एक नक्शा बना हुआ था — हवेली के तहखाने की ओर इशारा करता हुआ।
राहुल ने तहखाने का रास्ता ढूंढा और वहां एक पुरानी संदूक पाई। संदूक खोलते ही, उसमें पुराने गहने, कुछ दस्तावेज़ और एक तस्वीर थी — उसी बूढ़े आदमी की, जिसके बारे में गांव वाले कहते थे।
दस्तावेज़ बताते थे कि हवेली असल में गांव की संपत्ति थी और बूढ़ा आदमी उसे गांव के नाम कर गया था, पर किसी ने दस्तावेज़ छिपा दिए।
राज़ का खुलासा
राहुल ने वह सब कुछ गांव के सरपंच को सौंप दिया। हवेली को अब गांव के सांस्कृतिक केंद्र में बदला जा रहा था। और तब से वहां कोई डरावनी आवाज़ नहीं आई।
राहुल का साहस और जिज्ञासा, एक पुराने रहस्य को उजागर कर गई।